Up board class 10 science notes in hindi
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1). फ्यूज क्या है ?
Ans. फ्यूज टिन एवम ताम्बे के मिश्रधातु के तार का टुकड़ा होता है | जिसका गलनांक बहुत कम होता है जब लघुपथन आठवा अतिभारण के कारण परिपथ में उच्च धारा प्रवाहित होती है , तो फ्यूज तार गरम होकर पिघल जाता है जिसके कारण परिपथ टूट जाता है और धारा प्रवाह रुक जाता है |
2). भुसम्पर्क तार का क्या कार्य है ? धातु के साधित्रों को भुसम्पर्कित करना क्यों आवश्यक है ?
Ans. भुसम्पर्क तार घर के निकट जामुन के अन्दर बहुत निचे स्थित धातु के प्लेट के साथ जुदा होता है | यह सुरक्षा का साधन है और विद्युत सप्लाई को किसी प्रकार प्रभावित नहीं करता है | धातु के साधित्रों को भुसम्पर्कित करने पर पृथ्वी धारा के प्रभाव के लिए लगभग शून्य प्रतिरोध का पथ प्रदान करती है और धारा हमारे शरीर से नहीं गुजरती है और हम गंभीर झटके से बाच जाते है |
3). दिष्ट धारा एवम प्रत्यावर्ती धारा में अंतर लिखे |
Ans. दिष्ट धारा एवम प्र्तावर्ती धारा में निम्नलिखित अंतर है –
दिष्ट धारा :-
i). वैसी धारा जो केवल एक ही दिशा में प्रवाहित होती है दिष्ट धारा कहलाती है |
ii). इस धारा का परिणाम एवम दिशा समय के साथ नियत रहता है |
iii). इसे एक स्थान से दुसरे स्थान तक ले जाने में बहुत अधिक उर्जा व्यय होता है |
iv). ट्रांसफार्मर की मदद से इसे घटाया या बढाया नहीं जा सकता |
v). इससे विधुत लेपन नहीं किया जा सकता है |
vi). इससे बैटरी को चार्ज नहीं किया जा सकता है |
प्रत्यावर्ती धारा :-
i). ऐसी धारा जो सामान समय अंतरालों के पश्चात् अपनी दिशा परिवर्तित कर लेती है प्रत्यावर्ती धारा कहलाती है |
ii). इस धारा का परिणाम एवम दिशा समय के साथ बदलता रहता है |
iii). इसे एक स्थान से दुसरे स्थान तक ले जाने में बहुत कम उर्जा व्यय होता है |
iv). ट्रांसफार्मर की मदद से इस धारा को अपने अनुसार बढाया या घटाया जा सकता है |
v). इससे विद्युत लेपन किया जा सकता है |
vi). इससे बैटरी को चार्ज किया जा सकता है |
4). पक्षी और चमगादर के पंखो में क्या अंतर है ?
Ans. चमगादर के पंख मुख्यतः उसकी दीघ्रित अंगुली के मध्य की त्वचा के फैलने से बना है | परन्तु पक्षी के पंख उसकी पूरी अग्रबाहू की त्वचा के फैलाव से बनता है जो पैरो से ढकी रहती है |
5). क्या एक तितली और चमगादर के पंखो को समजत अंग कहा जा सकता है ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
Ans. तितली और चमगादर के पंख समजात अंग नहीं होते | वे समरूप अंग है जो उड़ने का कार्य करती है | चुकी तितली के पंख की संरचना चमगादर के पंख से बिकुल भिन्न होती है | चमगादर के पंख में अग्रपाद की अंगुली की हड्डिया होती है जबकि तितली के पंख में हडिया नहीं होती है |
6). जीवाश्म क्या है ? वे जैव विकास प्रक्रम के विषय में क्या दर्शाते हैं ?
Ans. भूतकालीन जंतुओं और पौधे के कठोर अंगो की छाप अथवा उनके अवशेष जो पृथ्वी की चट्टानों पर या उनके बिच में दबे हुए पाए जाते हैं, जीवाश्म कहलाते हैं | जीवाश्म हमें जैव विकास के बारे में निम्नाकित बाते दर्शाते हैं :-
i). ऐसी कौन सी स्पीशीज थी जो कभी जीवित थी | परन्तु अब लुप्त हो गयी है |
ii). ऐसे जीवों के अवशेष जीवाश्म के रूप में मिले हैं जो की एक वर्ग के जीवों का उनसे विकसित उच्च वर्ग के बिच की कड़ी के जीवों का स्वरूप बताते है | उदाहरण के लिए आर्किआप्तैरिक्स में कुछ लक्षण सरीसृप के हैं तो अन्य लक्षण पक्षियों के | यह इंगित करता है की पक्षी सरीसृप से विकसित हुए हैं |
iii). फासिल पृथ्वी के अन्दर विभिन्न स्तर पर खुदाई करके निकले जाते हैं | इससे पता चलता है की पृथ्वी के सतह के निकट पाए जाने वाले जीवाश्म गहरे स्तर पर पाए गये जीवाश्मों की अपेक्षा अधिक नये हैं |
7). आयनिक अथवा विद्युत संयोजी यागिकों के गुणधर्म लिखें -
Ans. आयनिक अथवा विद्युत संयोजी यागिकों के गुणधर्म :-
i). सभी आयनिक यौगिक ठोस अवस्था में पाए जाते हैं
ii). आयनिक यौगिकों का गलनांक तथा क्वथनांक उच्च होता है |
iii). अधिकांश आयनिक यौगिक जल में विलेय होते हैं |
iv). बेंजीन तथा मिट्टी के तेल जैसे कार्बनिक विलायको में ये यौगिक बिलेय नहीं होते |
v). इन यौगिको का जलिए विलयन अथवा इन यौगिको की गलित अवस्था विधुत धारा की वाहक होती है |
1). फ्यूज क्या है ?
Ans. फ्यूज टिन एवम ताम्बे के मिश्रधातु के तार का टुकड़ा होता है | जिसका गलनांक बहुत कम होता है जब लघुपथन आठवा अतिभारण के कारण परिपथ में उच्च धारा प्रवाहित होती है , तो फ्यूज तार गरम होकर पिघल जाता है जिसके कारण परिपथ टूट जाता है और धारा प्रवाह रुक जाता है |
2). भुसम्पर्क तार का क्या कार्य है ? धातु के साधित्रों को भुसम्पर्कित करना क्यों आवश्यक है ?
Ans. भुसम्पर्क तार घर के निकट जामुन के अन्दर बहुत निचे स्थित धातु के प्लेट के साथ जुदा होता है | यह सुरक्षा का साधन है और विद्युत सप्लाई को किसी प्रकार प्रभावित नहीं करता है | धातु के साधित्रों को भुसम्पर्कित करने पर पृथ्वी धारा के प्रभाव के लिए लगभग शून्य प्रतिरोध का पथ प्रदान करती है और धारा हमारे शरीर से नहीं गुजरती है और हम गंभीर झटके से बाच जाते है |
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Ans. दिष्ट धारा एवम प्र्तावर्ती धारा में निम्नलिखित अंतर है –
दिष्ट धारा :-
i). वैसी धारा जो केवल एक ही दिशा में प्रवाहित होती है दिष्ट धारा कहलाती है |
ii). इस धारा का परिणाम एवम दिशा समय के साथ नियत रहता है |
iii). इसे एक स्थान से दुसरे स्थान तक ले जाने में बहुत अधिक उर्जा व्यय होता है |
iv). ट्रांसफार्मर की मदद से इसे घटाया या बढाया नहीं जा सकता |
v). इससे विधुत लेपन नहीं किया जा सकता है |
vi). इससे बैटरी को चार्ज नहीं किया जा सकता है |
प्रत्यावर्ती धारा :-
i). ऐसी धारा जो सामान समय अंतरालों के पश्चात् अपनी दिशा परिवर्तित कर लेती है प्रत्यावर्ती धारा कहलाती है |
ii). इस धारा का परिणाम एवम दिशा समय के साथ बदलता रहता है |
iii). इसे एक स्थान से दुसरे स्थान तक ले जाने में बहुत कम उर्जा व्यय होता है |
iv). ट्रांसफार्मर की मदद से इस धारा को अपने अनुसार बढाया या घटाया जा सकता है |
v). इससे विद्युत लेपन किया जा सकता है |
vi). इससे बैटरी को चार्ज किया जा सकता है |
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These notes are based on UP Board Class 10 updated syllabus and are very helpful for revision purposes and preparation of UP Board Class 10th board exam. Up board class 10 science notes in hindi up board class 10 physics notes in hindi, class 10 science chapter 6 up board4). पक्षी और चमगादर के पंखो में क्या अंतर है ?
Ans. चमगादर के पंख मुख्यतः उसकी दीघ्रित अंगुली के मध्य की त्वचा के फैलने से बना है | परन्तु पक्षी के पंख उसकी पूरी अग्रबाहू की त्वचा के फैलाव से बनता है जो पैरो से ढकी रहती है |
5). क्या एक तितली और चमगादर के पंखो को समजत अंग कहा जा सकता है ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
Ans. तितली और चमगादर के पंख समजात अंग नहीं होते | वे समरूप अंग है जो उड़ने का कार्य करती है | चुकी तितली के पंख की संरचना चमगादर के पंख से बिकुल भिन्न होती है | चमगादर के पंख में अग्रपाद की अंगुली की हड्डिया होती है जबकि तितली के पंख में हडिया नहीं होती है |
6). जीवाश्म क्या है ? वे जैव विकास प्रक्रम के विषय में क्या दर्शाते हैं ?
Ans. भूतकालीन जंतुओं और पौधे के कठोर अंगो की छाप अथवा उनके अवशेष जो पृथ्वी की चट्टानों पर या उनके बिच में दबे हुए पाए जाते हैं, जीवाश्म कहलाते हैं | जीवाश्म हमें जैव विकास के बारे में निम्नाकित बाते दर्शाते हैं :-
i). ऐसी कौन सी स्पीशीज थी जो कभी जीवित थी | परन्तु अब लुप्त हो गयी है |
ii). ऐसे जीवों के अवशेष जीवाश्म के रूप में मिले हैं जो की एक वर्ग के जीवों का उनसे विकसित उच्च वर्ग के बिच की कड़ी के जीवों का स्वरूप बताते है | उदाहरण के लिए आर्किआप्तैरिक्स में कुछ लक्षण सरीसृप के हैं तो अन्य लक्षण पक्षियों के | यह इंगित करता है की पक्षी सरीसृप से विकसित हुए हैं |
iii). फासिल पृथ्वी के अन्दर विभिन्न स्तर पर खुदाई करके निकले जाते हैं | इससे पता चलता है की पृथ्वी के सतह के निकट पाए जाने वाले जीवाश्म गहरे स्तर पर पाए गये जीवाश्मों की अपेक्षा अधिक नये हैं |
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Ans. आयनिक अथवा विद्युत संयोजी यागिकों के गुणधर्म :-
i). सभी आयनिक यौगिक ठोस अवस्था में पाए जाते हैं
ii). आयनिक यौगिकों का गलनांक तथा क्वथनांक उच्च होता है |
iii). अधिकांश आयनिक यौगिक जल में विलेय होते हैं |
iv). बेंजीन तथा मिट्टी के तेल जैसे कार्बनिक विलायको में ये यौगिक बिलेय नहीं होते |
v). इन यौगिको का जलिए विलयन अथवा इन यौगिको की गलित अवस्था विधुत धारा की वाहक होती है |
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