Ncert class 12 political science chapter 4 solution and notes 

 दोस्तों जैसा की आप जानते हैं मैं लगातार Ncert class 12 political science notes in hindi का पोस्ट आप सभी के लिए ला रहा हूँ, और आज के इस पोस्ट में मैं Ncert class 12 political science chapter 4 solution and notes लाया हूँ तो निचे आप इस पोस्ट को देख सकते हैं Ncert class 12 political science chapter 4 notes :- 

Ncert class 12 political science chapter 4  notes

Q. सार्क (दक्षेस ) से क्या अभिप्राय है ? 

उत्तर-सार्क अथवा दक्षेस एक दक्षिण क्षेत्रीय सहयोग संगठन जिसका गठन सितम्बर 1985 में ढाका में हुआ | इसमें भारत,पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका और मालदीव सात देश सम्मिलित हैं। अब तक इसके ग्यारह सम्मेलन हो चुके हैं। प्रथम समेलन 8 दिसम्बर, 1985 को ढाका में हुआ था।

Q. चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कौन-से दो कदम उठाए ?

उत्तर- चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए उसके द्वारा उठाया गया प्रथम महत्त्वपूर्ण कदम यह था कि उसके 1982 ई० में खेती का निजीकरण कर दिया। इसके कारण कृषि उत्पादों तथा ग्रामीण आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। 2001 ई० में चीन 'विश्व व्यापार संगठन में शामिल हो गया और इस तरह दूसरे देशों के लिए अपनी अर्थव्यवस्था खोलने की दिशा में चीन ने एक कदम और आगे बढ़ाया।

Q. 1962 के बाद भारत-चीन संबंध में क्या परिवर्तन आए?

उत्तर- (i) भारत और चीन के बीच संबंधों को सामान्य होने में करीब दस साल लग गए। 1976 ई० में दोनों देशों के बीच पूर्ण राजनयिक संबंध बहाल हो सके। शीर्ष नेता के तौर पर पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी 1979 ई० में चीन के दौरे पर गए।
(ii) बाद में राजीव गाँधी बतौर प्रधानमंत्री 1988 ई० में चीन के दौरे पर गए। इसके बाद से चीन के साथ भारत के संबंधों में ज्यादा जोर व्यापारिक मसलों पर रहा।

Ncert class 12 political science notes chapter 4 

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Q. 1962 ई० में भारत-चीन युद्ध के कारणों का उल्लेख करें।

उत्तर- (i) चीन द्वारा तिब्बत की संस्कृति को कुचलने की खबरें।
(ii) तिब्बत के धार्मिक नेता दलाई लामा को भारत द्वारा शरण ।
(iii) भारत और चीन के बीच सीमा विवाद । चीन ने भारतीय भू-क्षेत्र में पड़ने वाले दो इलाकों- जम्मू-कश्मीर के लद्दाख वाले हिस्से के अक्साई-चीन और अरुणाचल प्रदेश के अधिकांश हिस्सों पर अपना अधिकार जताया।
(iv) चीन ने अक्साई-चीन इलाके पर सड़क बनाई।
(v) 1962 ई० में भारत पर चीनी हमला।

Q. सर्जिकल स्ट्राइक क्या है ?

उत्तर- 'सर्जिकल स्ट्राइक' सेना द्वारा किसी खास लक्ष्य पर किया जाने वाला गुप्त एवं अत्यंत सुनियोजित हमला होता है। 28 सितम्बर, 2016 की रात को, भारतीय सेना के स्पेशल फोर्स कमांडोज ने अत्यंत गुप्त तरीके से नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र में घुसकर, अचानक आतंकी शिविरों पर हमला कर इन्हें नष्ट कर दिया और एकदम सकुशल वापस लौट आये। यह भारतीय सेना द्वारा किया गया एक सफल सर्जिकल स्ट्राइक था।

Q. दक्षिण एशिया सहयोग संघ (साक) की स्थापना का क्या महत्त्व है ?

उत्तर- सार्क की स्थापना- दक्षिण एशिया सहयोग संघ अर्थात् सार्क की स्थापना दिसम्बर 1985 में ढाका में हुई। सार्क की स्थापना का महत्त्व निम्नांकित है-
(i) सार्क संगठन ने दक्षिण एशिया के लोगों के कल्याण तथा उसके आजीविका स्तर को सुधारने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
(ii) इसके द्वारा इस क्षेत्र में और अधिक विकास, सामाजिक उन्नति तथा सांस्कृतिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
(iii) इस संगठन के द्वारा दक्षिण एशिया के देशों में सामूहिक आत्मविश्वास की भावना को बढ़ावा मिला है।
(iv) सार्क के संगठन के सभी देशों की आपसी समस्याओं की पारस्परिक विश्वास तथा सूझ-बूझ से सुलझाने का अवसर प्राप्त हुआ है।

Q. चीनी, अर्थव्यवस्था की उन्नति के लिए उत्तरदायी कारकों की व्याख्या करें।

उत्तर-1949 ई० में माओ के नेतृत्व में साम्यवादी क्रांति के पश्चात् चीन को भी राज्य-नियंत्रित आर्थिकी के संकट का सामना करना पड़ा। चीन का औद्योगिक उत्पादन पर्याप्त तेजी से नहीं बढ़ रहा था। विदेशी व्यापार न के बराबर था और प्रति व्यक्ति आय बहुत कम थी। अतः चीनी नेतृत्व ने 1970 के दशक में कुछ नीतियों में बदलाव किए। इन उपायों या नीतियों में परिवर्तन के परिणामस्वरूप चीन की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हुई। इसके निम्नांकित परिणाम हुए-

(i) उद्योग और कृषि दोनों ही क्षेत्रों में चीन की अर्थव्यवस्था की वृद्धि-दर तेज रही।
(ii) व्यापार के नए कानूनों तथा विशेष रूप से विशेष आर्थिक क्षेत्रों के निर्माण से विदेश व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। चीन पूरे विश्व में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए सबसे आकर्षक देश बन गया।
(iii) कृषि उत्पादों तथा ग्रामीण आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
(iv) ग्रामीण अर्थव्यवस्था में निजी बचत का परिणाम बढ़ा और इससे ग्रामीण उद्योगों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई।
(v) अब चीन के पास विदेशी मुद्रा का विशाल भण्डार है और इसके बल पर वह दूसरे देशों में निवेश कर रहा है।
(vi) चीन 2001 ई० में विश्व व्यापार संगठन में शामिल हो कर विश्व आर्थिकी से जुड़ गया।

उपर्युक्त वर्णन से स्पष्ट हो जाता है कि चीन की सफलता उसको 2040 ई० तक विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बना देगा और वह अमेरिका से भी आगे निकल जाएगा।

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Q. भौगोलिक निकटता का क्षेत्रीय संगठनों के गठन पर क्या असर होता है ?

उत्तर- भौगोलिक निकटता के कारण क्षेत्र विशेष में आने वाले देशों में संगठन की भावना विकसित होती है। इस भावना के विकास के साथ पारस्परिक संघर्ष और युद्ध का स्थान, पारस्परिक सहयोग और शान्ति ले लेती है। भौगोलिक एकता मेल-मिलाप के साथ आर्थिक सहयोग और अंतर्देशीय व्यापार को बढ़ावा देती है। राष्ट्र बड़ी आसानी से सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था करके कम धन व्यय करके अपनी राष्ट्रहित की सुरक्षा कर सकते हैं और बचे हुए धन को कृषि, उद्योग, विद्युत, यातायात, शिक्षा, सड़क, संवादवहन, स्वास्थ्य आदि सुविधाओं को जुटाने और जीवन स्तर को ऊँचा उठाने में प्रयोग कर सकते हैं यह वातावरण सामान्य सरकार गठन के लिए अनुकूल वातावरण उत्पन्न कर सकता है। एक क्षेत्र के विभिन्न राष्ट्र यदि क्षेत्रीय संगठन बना लें तो वे परस्पर सड़क मार्गों और रेल सेवाओं से बड़ी आसानी से जुड़ सकते हैं। 

Q. मोलोटोव प्लान क्या था ? मोलोटोव योजना का क्या उद्देश्य था ?

उत्तर-अमेरीकी विदेश सचिव मार्शल की योजना के प्रत्युत्तर में सोवियत विदेश मंत्री मोलोटोव ने योजना बनाई जिसे मोलोटोव योजना कहते हैं। इसका प्रमुख उद्देश्य था कि पूर्वी यूरोप के देशों को वित्तीय सहायता देकर उनका आर्थिक पुनरुद्वार किया जाए। दरअसल शीत युद्ध के दौर में महाशक्तियाँ अपने मित्र देशों को आर्थिक रूप से सक्षम रखना चाहती थीं ताकि वे दूसरे खेमें से प्रभावित न हों।

Q. आज की चीनी अर्थव्यवस्था नियंत्रित अर्थव्यवस्था से किस तरह अलग है? 1978 ई० में चीन के 'मुक्त द्वार की नीति' का उल्लेख करें।

उत्तर- आज की चीनी अर्थव्यवस्था नियंत्रित अर्थव्यवस्था निम्नांकित प्रकार से अलग है-

(i) 1978 में तत्कालीन नेता दंग श्याआपेंग ने चीन में आर्थिक सुधारों और 'खुले द्वार की नीति' की घोषणा की।
(ii) इस घोषणा के पश्चात् यह निश्चित किया गया कि विदेशी पूँजी और प्रौद्योगिकी के निवेश से उच्चतर उत्पादकता को प्राप्त किया जाए। बाजारमूलक अर्थव्यवस्था को अपनाने के लिए चीन ने अपना तरीका अपनाया।
(iii) चीन ने शॉक थेरेपी को महत्त्व नहीं दिया बल्कि अपनी अर्थव्यवस्था को क्रमबद्ध तरीके से आरम्भ किया।
(iv) कृषि का निजीकरण कर दिया गया जिसके कारण कृषि उत्पादों तथा ग्रामीण में पर्याप्त आय हुई।
(v) ग्रामीण अर्थव्यवस्था में निजी बचत को महत्त्व दिया जिससे ग्रामीण उद्योगों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि हुई। इस प्रकार उद्योग और कृषि दोनों ही क्षेत्रों में चीन की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर तेज रही।
(vi) उसने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को महत्त्व दिया। फलस्वरूप उसके पास विदेशी मुद्रा का विशाल भंडार हो गया है। विदेशी मुद्रा की सहायता से वह दूसरे देशों में निवेश कर रहा है।
(vii) व्यापार के नए कानून तथा विशेष आर्थिक क्षेत्रों का निर्माण किया गया। इससे विदेशी व्यापार में अद्भुत बढ़ोतरी हुई।
(viii)2001 में चीन विश्व व्यापार संगठन में शामिल हो गया है। इस प्रकार वह दूसरे देशों में अपनी अर्थव्यवस्था खोलने में सक्षम हो गया है।

Q. पंचशील समझौता क्या है ? इसके प्रमुख सिद्धांतों को लिखें।

उत्तर-29 अप्रैल, 1954 ई० को भारत और चीन के मध्य हुए समझौते के अंतर्गत प्रतिपादित पाँच सिद्धांतों के माध्यम से भारत के शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की स्थापना के प्रयास को मूर्तरूप प्राप्त हुआ। इन्हीं पाँच सिद्धांतों को पंचशील कहते हैं।

पंचशील के पाँच सिद्धांत इस प्रकार हैं-

(i) एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना।
(ii) एक-दूसरे पर आक्रमण न करना।
(iii) एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखण्डता और प्रभुसत्ता के प्रति परस्पर सम्मान ।
(iv) समानता तथा पारस्परिक लाभ।
(v) शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व।

इन्हीं पाँच सिद्धांतों को 1955 ई० में हुए प्रथम अफ्रीकी एशियाई सम्मेलन में भी अंगीकृत किया गया था। वास्तव में भारत की विदेश नीति में इन पाँच सिद्धांतों की अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।

Q. यूरोपीय संघ के गठन का कारण क्या था ?

उत्तर- प्रथम व द्वितीय महायुद्ध के बाद यूरोप के देशों की दशा कमजोर हुई थी और 1930 की मंदी ने उन पर और अधिक प्रभाव डाला था। उन्हें लगने लगा कि आपसी संघर्ष के कारण अपना आर्थिक पुननिर्माण तथा आर्थिक विकास नहीं कर सकते। अतः इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए आपसी सहयोग अर्थात् यूरोपीय संघ की स्थापना की गई। यूरोपीय संघ ने यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए अपने सदस्य राष्ट्रों में वृद्धि के साथ-साथ और भी अनेक उद्देश्यों को सामने रखा, जैसे-

(i) सभी सदस्य देशों में साझी विदेशी नीति और सुरक्षा नीति को अपनाना।
(ii) यूरोपीय संघ में एक केन्द्रीय बैंक की स्थापना।
(ii) सामान्य झंडा, सामान्य राष्ट्रीय गीत और सामान्य करेंसी को अपनाना।
(iv) संघ के देशों में एक नागरिकता को अपनाने के साथ-साथ एक समान श्रमिक कानून लागू करना।

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Q. नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था के प्रमुख उद्देश्य क्या हैं ?

उत्तर- नए एकध्रुवीय विश्व में अमेरिका और उसके सहयोगी धनी देशों के समूह (जी-7) का आर्थिक क्षेत्र में वर्चस्व है। ऐसे में, अविकसित एवं विकासशील देशों ने जी-77 के नाम से एक समूह बनाया। इस समूह ने 'नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का प्रस्ताव दिया

जिसके प्रमुख उद्देश्य निम्नांकित हैं-

(i) धनी, विकासशील तथा गरीब देशों के आर्थिक स्तर की खाई को कम करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहमति का वातावरण बने।
(ii) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नियम, जिनका झुकाव धनी तथा विकसित देशों की तरफ है, उसे सभी प्रकार के देशों के अनुकूल किया जाए।
(ii) आर्थिक क्षेत्र में विकसित देशों का वर्चस्व कम हो तथा अंतर्राष्ट्रीय नियम अविकसित देशों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को भी ध्यान में रख कर बने।
(iv) अविकसित एवं विकासशील देशों में आर्थिक विकास में परस्पर सहयोग हो।
(v) आपस में व्यापार में वृद्धि करने के प्रयास किए जाएँ।

Q. यूरोपीय संघ की अर्थव्यवस्था विश्व स्तर पर कैसी है ?

उत्तर- यूरोपीय संघ की अर्थव्यवस्था विश्व स्तर पर बहुत जबरदस्त है। 2005 में यह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी और इसका सकल घरेलू उत्पाद 12000 अरब डालर से ज्यादा था जो अमेरिकी डालर के प्रभुत्व के लिए खतरा बन सकती है। विश्व व्यापार में इसकी हिस्सेदारी अमेरीका से तीन गुनी ज्यादा है और इसी के चलते यह अमेरीका और चीन से व्यापारिक विवादों में पूरी धौंस नजदीकी देशों पर ही नहीं, बल्कि एशिया और अफ्रीका के दूर-दराज के मुल्कों पर भी है। यह विश्व व्यापार संगठन जैसे अतर्राष्ट्रीय व्यापार संगठनों के अंदर एक महत्वपूर्ण समूह के रूप में काम करता है।

Q. मार्शल योजना क्या थी?

उत्तर- मार्शल योजना- यह योजना अमेरिकी विदेशमंत्री के नाम पर 'मार्शल योजना' के नाम से प्रसिद्ध हुई। इस योजना के फलस्वरूप बहुत कम समय में यूरोपीय देशों की आर्थिक स्थिति युद्ध पूर्व स्तर पर बढ़ गई। आने वाले वर्षों में पश्चिम यूरोपीय देशों की व्यवस्था में बहुत तेजी से विकास हुआ।

Q. क्षेत्रीय संगठनों को बनाने के उद्देश्य क्या है ?

उत्तर-क्षेत्रीय संगठनों की स्थापना करने अथवा उन्हें बनाने के पीछे अनेक उद्देश्य निहित होते है। प्रायः प्रत्येक क्षेत्रविशेष की कुछ अपनी-अपनी समस्याएँ होती है, जिनके निदान के लिए क्षेत्रीय संगठनों की स्थापना की जाती है। सोवियत रूस के विघटन के पश्चात् विश्व एकध्रुवीय हो गया था। इस एकधुवीय व्यवस्था का महानायक अमेरिका था। अमेरिका के बढ़ते हुए प्रभुत्व को सीमित करने के लिए क्षेत्रीय आधार पर 'यूरोपीय संघ और 'आसियान' की स्थापना की गई। इसे सत्ता का वैकल्पि केन्द्र भी कहा जाता है। इन दोनों क्षेत्रीय संगठनों ने अपने-अपने क्षेत्र में चलनेवाली ऐतिहासिक दुश्मनियों और कमजोरियों का क्षेत्रीय स्तर पर समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राजनैतिक और आर्थिक सत्ता के ये वैकल्पिक केन्द्र अमेरिका के वर्चस्व को कम करने तथा क्षेत्रीय विकास को आगे बढ़ाने में निश्चय ही सहायक सिद्ध हुए है।

Q. भारत और चीन के संबंधों (1949-1985) पर एक टिप्पणी लिखें।

उत्तर- चीन की जनता भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से सहानुभूति रखती थी। भारत के नेताओं ने 1949 ई० में चीनी क्रांति का स्वागत किया था। कई वर्षों तक हिन्दी-चीनी भाई-भाई' के नारे लगते रहे, 1957 ई० में तिब्बत के नेता  दलाई लामा ने भारत में शरण ली। तिब्बत पर कब्जा कर लेने के बाद चीन ने भारत की सीमाओं तक पक्की सड़कें बना लीं और 1962 ई० में भारत पर हमला बोल दिया। युद्ध तो रुक गया, पर दोनों देशों के संबंध आज तक सामान्य नहीं हो सके। 1965 ई० और 1971 ई० में भारत-पाक युद्ध के दौरान चीन का व्यवहार भारत की प्रति शत्रुतापूर्ण रहा। इसके बाद संबंधों में कुछ सुधार आया। 1976 ई० में फिर से चीन ने भारत को कोयला, तेल और वनस्पति देना मंजूर किया और भारत से उसने कच्चे लौह धातु और चीनी उद्योग में काम आने वाली मशीनें लेना स्वीकार किया।

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